नादाँ मेरे, बस इतना बता
इस मोड़ मुड़ा तो होगा कोई ?
ये राख़ भरी सी बस्ती में,
कभी शहर बसा तो होगा कोई?
जहाँ सुनते हो तुम सिसकारि,
एक लम्हा हँसा तो होगा कोई?
क़दमों में उड़ते हो ख़ाक जहाँ,
होगा आँगन में खिलता फूल कोई ?
नादाँ मेरे बस इतना बता,
इस मोड़ मुड़ा तो होगा कोई?
Wah!! Very nice! 👏👏
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Poignant!!
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Sawaal anek…. Well expressed!!
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