डोर अभी कुछ कच्ची थी,
टूट जाएं तो चलूँ.
आँख अभी कुछ नम थी,
सुर्ख़ हो जाये तो चलूँ.
बहार अभी बुलंदियों पर तो ना थी,
पतझड़ आये तो चलूँ.
कुछ तो ख्वाब अभी मैंने देखे हैं,
बिखर जाये तो चलूँ.
Unwind….
डोर अभी कुछ कच्ची थी,
टूट जाएं तो चलूँ.
आँख अभी कुछ नम थी,
सुर्ख़ हो जाये तो चलूँ.
बहार अभी बुलंदियों पर तो ना थी,
पतझड़ आये तो चलूँ.
कुछ तो ख्वाब अभी मैंने देखे हैं,
बिखर जाये तो चलूँ.
Wah Wah!!
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बहुत अच्छा👏👏👏👏
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Wow!! Loved it!
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Nice one.
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