फ़रेब की सुबह ढल चुकी,
रात का मंज़र कोई और था.
तेरा चेहरा मैं निहार चुका,
चेहरें के पीछे कोई और था.
गिरती बिजली भी देख चुका,
तूफ़ान के आगे कोई और था.
सज़दा जहां का कर चुका,
तेरा खुदा कोई और था.
Unwind….
फ़रेब की सुबह ढल चुकी,
रात का मंज़र कोई और था.
तेरा चेहरा मैं निहार चुका,
चेहरें के पीछे कोई और था.
गिरती बिजली भी देख चुका,
तूफ़ान के आगे कोई और था.
सज़दा जहां का कर चुका,
तेरा खुदा कोई और था.
Bahut hi badiya!!…. 👌👌👌
LikeLiked by 2 people
बड़ा सही लिखा है … संदर्भ शायद वही है जो मै समझ रहा हूं या….
LikeLiked by 2 people
विचारप्रेरक !!
LikeLiked by 3 people
Wah! Bahut khoob!!!
LikeLiked by 2 people
Beautifully written
LikeLiked by 2 people
👏👏
LikeLiked by 2 people
Wow…shekhar …You are getting better by the day… Awesome lines…😊😊👍
LikeLiked by 3 people
Beautiful! So well written….
LikeLiked by 1 person
Very nice
LikeLike